यह सोचना हीं सबसे बड़ा पाप है कि मैं निर्बल हूँ या दूसरे लोग कमजोर हैं. अगर धन का उपयोग दूसरों की भलाई के लिए नहीं किया जाता है, तो धन बोझ बन जाता है. और उस बोझ तले व्यक्ति दबता चला जाता है. उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक कि तुम अपने लक्ष्य को नहीं पा लेते हो. जब तक जीवित हो तब तक अपने और दूसरों के अनुभवों से सीखते रहना चाहिए. क्योंकि अनुभव सबसे बड़ा गुरु होता है. ब्रम्हाण्ड की सारी शक्तियाँ पहले से हीं हमारे भीतर मौजूद हैं. हम हीं मूर्खता पूर्ण आचरण करते हैं, जो अपने हाथों से अपनी आँखों को ढंक लेते हैं….. और फिर चिल्लाते हैं कि चारों तरफ अँधेरा है, कुछ नजर नहीं आ रहा है. निरंतर सीखते रहना हीं जीवन है और रुक जाना हीं मृत्यु है. ठोकरें खाने के बाद हीं अच्छे चरित्र का निर्माण होता है. लोग तुम्हारी प्रशंसा करें या आलोचना, तुम्हारे पास धन हो या नहीं हो, तुम्हारी मृत्यु आज हो या बड़े समय बाद हो, तुम्हें पथभ्रष्ट कभी नहीं होना चाहिए. दुर्बलता को न तो आश्रय दो और न तो दुर्बलता को बढ़ावा दो. जो सच है उसे लोगों से बिना डरे कहो, धीरे-धीरे लोग सच्चाई को स्वीकार करने लगेंगे. जो लोग इसी जन्म में मुक्ति पाना चाहते हैं, उन्हें एक हीं जन्म में हजारों वर्षों का कर्म करना पड़ेगा. एक विचार को पकड़ना. उसी विचार को अपना जीवन बना लेना. उसी के बारे में सोचना, उसी के सपने देखना, उसी विचार को जीना. अपने दिमाग, मांसपेशियों, और शरीर के हर हिस्से को उसी विचार में डूब जाने देना, और बाकी सभी विचारों को किनारे रख देना. यही सफल होने का तरीका है, यही सफलता का सूत्र है. निर्भय व्यक्ति हीं कुछ कर सकता है, डर-डर कर चलने वाले लोग कुछ नहीं कर सकते हैं. किसी भी चीज से डरो मत. तभी तुम अद्भुत काम कर सकोगे . निडर हुए बिना जीवन का आनंद नहीं लिया जा सकता है. स्वतंत्र होने की हिम्मत करो. तुम्हारे विचार तुम्हें जहाँ तक ले जाते हैं वहां तक जाने की हिम्मत करो, और अपने विचारों को जीवन में उतारने की हिम्मत करो. जो भी चीज तुम्हें कमजोर बनाती है, उन चीजों को जहर समझकर त्याग दो…. तभी तुम उन्नति कर पाओगे. एक वक्त में एक हीं काम करो, और उस काम को करते समय अपना सब कुछ उसी में झोंक दो. अपने बारे में तुम जैसा सोचते हो तुम वैसे हीं बन जाओगे. अगर तुम खुद को कमजोर सोचते हो , तो तुम कमजोर बन जाओगे; उसी तरह अगर तुम खुद को शक्तिशाली सोचोगे, तो तुम शक्तिशाली होते जाओगे. चाहे सत्य को हजारों तरीकों से बताया जाए, लेकिन सत्य एक हीं होता है. केवल वही व्यक्ति भगवान पर विश्वास नहीं करता है, जिसे खुद पर विश्वास नहीं होता है.
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