Hindi Quotes of Swami Vivekananda
स्वामी विवेकानंद के अनमोल विचार
Many people have faith in Swami Vivekananda, In so many people putting the photos of vivekanandji in their office.
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उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाये.
ब्रह्माण्ड कि सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं. वो हमीं हैं जो अपनी आँखों पर हाँथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अन्धकार है!
किसी की निंदा ना करें. अगर आप मदद के लिए हाथ बढ़ा सकते हैं, तो ज़रुर बढाएं.अगर नहीं बढ़ा सकते, तो अपने हाथ जोड़िये, अपने भाइयों को आशीर्वाद दीजिये, और उन्हें उनके मार्ग पे जाने दीजिये.
अगर धन दूसरों की भलाई करने में मदद करे, तो इसका कुछ मूल्य है, अन्यथा, ये सिर्फ बुराई का एक ढेर है, और इससे जितना जल्दी छुटकारा मिल जाये उतना बेहतर है.
तुम अपनी अंत:स्थ आत्मा को छोड़ किसी और के सामने सिर मत झुकाओ। जब तक तुम यह अनुभव नहीं करते कि तुम स्वयं देवों के देव हो, तब तक तुम मुक्त नहीं हो सकते..
हम ईश्वर को कहाँ पा सकते हैं अगर हम उसे अपने आप में और अन्य जीवों में नहीं देखते..
वेदान्त कोई पाप नहीं जानता, वो केवल त्रुटी जानता है . और वेदान्त कहता है कि सबसे बड़ी त्रुटी यह कहना है कि तुम कमजोर हो , तुम पापी हो , एक तुच्छ प्राणी हो , और तुम्हारे पास कोई शक्ति नहीं है और तुम ये वो नहीं कर सकते .
भला हम भगवान को खोजने कहाँ जा सकते हैं अगर उसे अपने ह्रदय और हर एक जीवित प्राणी में नहीं देख सकते .
दिल और दिमाग के टकराव में दिल की सुनो..
स्वतंत्र होने का साहस करो . जहाँ तक तुम्हारे विचार जाते हैं वहां तक जाने का साहस करो , और उन्हें अपने जीवन में उतारने का साहस करो..
सबसे बड़ा धर्म है अपने स्वभाव के प्रति सच्चे होना . स्वयं पर विश्वास करो..
हमारी नैतिक प्रकृति जितनी उन्नत होती है, उतना ही उच्च हमारा प्रत्यक्ष अनुभव होता है, और उतनी ही हमारी इच्छा शक्ति अधिक बलवती होती है।
जो अग्नि हमें गर्मी देती है , हमें नष्ट भी कर सकती है ; यह अग्नि का दोष नहीं है..
हम जो बोते हैं वो काटते हैं . हम स्वयं अपने भाग्य के विधाता हैं . हवा बह रही है ; वो जहाज जिनके पाल खुले हैं , इससे टकराते हैं , और अपनी दिशा में आगे बढ़ते हैं , पर जिनके पाल बंधे हैं हवा को नहीं पकड़ पाते . क्या यह हवा की गलती है ?…..हम खुद अपना भाग्य बनाते हैं .
शारीरिक , बौद्धिक और आध्यात्मिक रूप से जो कुछ भी कमजोर बनता है – , उसे ज़हर की तरह त्याग दो..
कुछ मत पूछो , बदले में कुछ मत मांगो . जो देना है वो दो ; वो तुम तक वापस आएगा , पर उसके बारे में अभी मत सोचो..
आकांक्षा , अज्ञानता , और असमानता – यह बंधन की त्रिमूर्तियां हैं..
जब लोग तुम्हे गाली दें तो तुम उन्हें आशीर्वाद दो . सोचो , तुम्हारे झूठे दंभ को बाहर निकालकर वो तुम्हारी कितनी मदद कर रहे हैं..
तमाम संसा हिल उठता। क्या करूँ धीरे – धीरे अग्रसर होना पड रहा है। तूफ़ान मचा दो तूफ़ान!
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